हर बार ही रावण ने तो मात पे मात ही खाई। ना ही उसने युद्ध को छोड़ा, ना सीता लौटाई।। परनारी को घर में लाकर उसने पाप किया था। अपनी मौत और बर्बादी का उसने शाप लिया था।। मौत सिर पर डोल रही थी ये तो बात ना जानी। सुनो,सुनो ऐ दुनियावालो "निर्मोही" से जुबानी।। रणभूमि में रावण आया भारी रथ पर चढ़कर। कई हज़ारों वानर मारे, बाकी तो भागे डरकर।। राम की आज्ञा पा लक्ष्मण ने मोर्चा एक संभाला। तोड़ रावण के रथ को फिर सारथी को मार डाला।। रावण गायब हुआ धरा से सैर करी असमानी।। सुनो,सुनो ऐ दुनियावालो "निर्मोही" से जुबानी।। हनुमान और रावण में फिर हो गया मुष्टि प्रहार। लात-घूंसे,धक्का-मुक्की, हो गई मार ही मार।। बजरंगी ने रावण को फिर ऐसा तो घूंसा मारा। जान के शक्ति हनुमान की वहाँ से किया किनारा।। हनुमान में जो शक्ति थी रावण ने वो जानी। सुनो,सुनो ऐ दुनियावालो "निर्मोही" से जुबानी।। आगे बढ़कर श्रीराम ने धनुष को जा टंकारा। बादल गरजे,बिजली कौंधी, हो गया चमकारा।। राम और रावण के बाण फिर आपस में टकराये। मारकशक्ति देखके उनकी लोग सभी घबराये ।। थी रावण की हर चाल में छल ,कपट,बेईमानी । सुनो,सुनो ऐ दुनियावालो "निर्मोही" से जुबानी।। राम ने रावण के दस शीश काट-काटके गिराये। थोड़ी देर में सारे शीश फिर से उगकर आये।। पल में धरा पर,पल में नभ में रावण दिखाई देता। कोई जो भी आता सामने प्राण उसके हर लेता।। रामादल में मची खलबली, बात राम ने जानी। सुनो,सुनो ऐ दुनियावालो "निर्मोही" से जुबानी ।। रावण के तो नाभिकुंड में थी अमृत की धारा। जैसे ही सिर कट जाते थे उग आते थे दोबारा।। बाण इक्कतीस एक साथ ही राम ने फिर तो छोड़े। नाभि का सब अमृत सूखा, अंग-अंग सब तोड़े।। रावण तो मर गया युद्ध में, रोई मंदोदरी रानी। सुनो,सुनो ऐ दुनियावालो "निर्मोही" से जुबानी।। पूरी लंका में खुशी का एक उत्सव सा आया। वरुण,कुबेर,इन्द्र,पवन को कैद से तो छुड़वाया।। राम की मर्जी से विभीषण बने लंका के राजा। हुई सीता की अग्नि परीक्षा, देखे खड़ा समाजा।। सच्चाई की कीमत फिर से लोगों ने पहचानी । सुनो, सुनो ऐ दुनियावालो "निर्मोही" से जुबानी।। |
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बहुत सारे लोग जोकि एक निश्चित क्षेत्र में अपनी सरकार और सम्प्रभुता के साथ रहते हैं उसे देश कहते हैं" [ A large group of people living in one area with their own government and sovereignty is called a country.] जबकि राष्ट्र का अर्थ देश से अलग है । राजनीतिक विचारक बलंशली ( Bluntschili ) के अनुसार -- "राष्ट्र ऐसे मनुष्यों का एक समूह है, जो विशेष तौर पर भाषा , इतिहास और रीति - रिवाजों द्वारा एक ऐसी सांझी सभ्यता से बंधे हुए हैं जो एकता की भावना और विदेशियों से भिन्नता की भावना पैदा करता है।" |
आप देख रहे हे गोस्वामी चेतना |
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