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भारत हिंदू राष्ट्र बनकर रहेगा

 


भारतवर्ष एक देश भी है और राष्ट्र भी
बहुत सारे लोग जोकि एक निश्चित क्षेत्र में अपनी सरकार और सम्प्रभुता के साथ रहते हैं उसे देश कहते हैं" [ A large group of people living in one area with their own government and sovereignty is called a country.] जबकि राष्ट्र का अर्थ देश से अलग है । राजनीतिक विचारक बलंशली ( Bluntschili ) के अनुसार -- "राष्ट्र ऐसे मनुष्यों का एक समूह है, जो विशेष तौर पर भाषा , इतिहास और रीति - रिवाजों द्वारा एक ऐसी सांझी सभ्यता से बंधे हुए हैं जो एकता की भावना और विदेशियों से भिन्नता की भावना पैदा करता है।"
भारत में दो प्रकार की शासन व्यवस्था रही है -- ( 1 ) राजाधीन या एकाधीन जिसको केवल एक व्यक्ति अर्थात राजा चलाता था और ( 2 ) गणधीन या संघधीन जिसको अनेक व्यक्तियों द्वारा चलाया जाता था ।
ईसा से 600 वर्ष पहले और 300 ईस्वी तक भारत में अनेक गणराज्य ( गणसंघ ) थे, जैसे --- शिवि , पांचाल , मल्ल , विदेह , लिच्छवी , शाक्य , कोलिय , बुली , भग्ग , कठ ,अस्सक , यौधेय , मालव , क्षुद्रक , सौभूति , मुचुकर्ण , अम्बष्ठ इत्यादि । चंद्रगुप्त मौर्य ने ऐसे कई गणराज्यों को जीतकर अपने शासन में मिलाया था और "सम्राट" की उपाधि धारण की थी । भारतवर्ष की पहचान एक राष्ट्र के रूप में होने लगी । उसने बाद तो अनेक सम्राट हुए । सभी का वर्णन सम्भव नहीं है , फिर भी कुछों के नाम इस प्रकार हैं -- सम्राट अशोक , सम्राट कनिष्क , सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य , सम्राट समुद्रगुप्त , सम्राट हर्षवर्धन । अनेक विदेशी जातियां इस देश में आईं और इस देश की संस्कृति में घुल-मिल गईं । सनातन में सुधार करने के नाम पर जैन धर्म और बौद्ध धर्म पैदा हुए लेकिन वे सनातन धर्म के सम्प्रदाय या पंथ माने जाते हैं । सनातन धर्म के बहुत से नियम और रीति-रिवाज जैन धर्म और बौद्ध धर्म ने अपना लिए और जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म के बहुत से नियम एवं रीति-रिवाज सनातन धर्म ने अपना लिए । सम्राट हर्षवर्धन ( 606 ई. - 647 ई. ) के बाद भारत छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया था ।
ईसा की सातवीं शताब्दी में अरब देश में इस्लाम धर्म का जन्म हुआ । 712 ई. में मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अरबों ने भारत के पश्चिमी छोर पर स्थित सिंध प्रांत पर हमला बोलकर इस्लाम धर्म की नींव भारत में डाली । सनातन संस्कृति और इस्लामिक संस्कृति एकदम अलग थीं । दोनों में भारी टकराव रहा । दो संस्कृतियां दो राष्ट्र बनकर रह गईं और आज भी ऐसा ही है । मौहम्मद गौरी ने दिल्ली में कुतुबुद्दीन ऐबक को गद्दी पर बिठाकर ( 1206 ई. ) भारत में मुस्लिम शासन की औपचारिक शुरुआत की । अनेक मुस्लिम वंशों ( गुलाम वंश , तुगलक वंश , लोदी वंश , मुगल वंश इत्यादि ) ने 1206 ई. से लेकर 1857 ई. तक भारत पर शासन किया । इस दौरान इस्लाम धर्म ने भारत में दो प्रकार से अपनी पैठ बनाई -- प्रेम और तलवार । मुस्लिम फकीर , मुल्ला और मौलवी झाड़ - फूंककर या ताबीज बांधकर या बहला - फुसलाकर या लालच देकर या पद देकर या रियायतें देकर हिंदुओं का धर्मांतरण करते थे । दूसरी ओर वे तलवार का सहारा लेते थे । जो इस्लाम धर्म को स्वीकार नहीं करता था उसकी गरदन धड़ से अलग कर दी जाती थी । भारत के 95% मुसलमानों की उत्पत्ति इसी आधार पर हुई है । जिन मुसलमानों के नामों के साथ "चौहान" , "मलिक" , "सेठी" , "चौधरी" , "सागर" , "पंडित" उपनाम हैं उनके पूर्वज निश्चित रूप से हिंदू थे । कश्मीर में ब्राह्मण और मुसलमान दोनों ही अपने नामों के साथ "पंडित" लगाते हैं । उत्तराखंड में कुछ ब्राह्मण लोग "भट्ट" उपनाम लगाते हैं । कश्मीर में जाते - जाते वह "बट्ट" हो गया ।
अंग्रेजों ने मुसलमानों से सत्ता छीनी । अंग्रेजों के अंतर्गत दो प्रकार के राज्य थे -- एक जो सीधे ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत आते थे और दूसरे थीं रियासतें । रियासतों से राष्ट्रवाद छिन्न-भिन्न हो गया था । भारत में अपने दफ्तरों में काम करने के लिए अंग्रेजों ने कुछ भारतीयों को अंग्रेजी पढ़ाई । अंग्रेजी सीखने के बाद हिंदीभाषी , उर्दूभाषी , तमिलभाषी , पहाड़ीभाषी , पंजाबीभाषी एक - दूसरे के सम्पर्क में आए और एक - दूसरे के विचारों को जाना । लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का संचार हुआ और लोग अंग्रेजों के खिलाफ खड़े होते चले गए। अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए काम किये थे लेकिन जाने - अनजाने में उनसे भारतीयों को फायदा पहुंचा । राष्ट्रीयता की भावना बलवती होती चली गई।
हिंदू - मुस्लिम दो राष्ट्रों की थ्योरी पर भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ । सोचा था कि उसके बाद शांति होगी लेकिन ऐसा हो नहीं सका है। पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र बना दिया गया और हिंदुओं के हाथों में "सेक्युलरिजम का झुनझुना" थमा दिया गया । घर के मालिक को घर से बेदखल करके किरायेदार घर के मालिक बन बैठे । भारत दुनिया का पहला देश है जहां बहुसंख्यकों के स्थान पर अल्पसंख्यकों को ज्यादा मान्यता दी गई । सत्ता पर काबिज रहने के लिए तुष्टिकरण की नीति अपनाई गई जो कि अभी भी बरकरार है । "देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का बताया गया ।" देश के मूल संविधान में कहीं भी "सेक्युलर" शब्द का जिक्र नहीं था । इसे संविधान में बाद में इंदिरा गांधी ने जुड़वाया था। सन् 2014 ई. के आम चुनाव के बाद सत्ता और लोगों की सोच में भारी बदलाव आया है । लोग भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात करने लगे हैं । अयोध्या के संतों द्वारा भी इस मुद्दे को हवा दी जा रही है । गोवर्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती इस मुद्दे को पूरे ज़ोर - शोर से उठा रहे हैं । उनका कहना है कि "अगले अढ़ाई वर्षों में भारत एक हिंदू राष्ट्र बन जायेगा।" मैं भी यही मानता हूं कि "भारत एक हिंदू राष्ट्र बनकर रहेगा।" इसके पीछे मेरे कुछ तर्क हैं :---- * इस्लाम धर्म की शुरुआत प्रेम से हुई थी । इस्लाम का ब्रदरहुड का सिद्धांत लोगों को बहुत भाया था । लोगों ने खुशी - खुशी इस्लाम धर्म को स्वीकार किया था । बाद में प्रेम का स्थान तलवार ने ले लिया । गैर मुस्लिमों को जबरन मुस्लिम बनाया गया । काफ़िरों को कत्ल करना शवाब ( पुण्य ) माना जाने लगा । पहले तो ये गैर मुस्लिमों का ही कत्ल करते थे लेकिन कुछ वर्षों से ये मुस्लिमों का ही खून बहा रहे हैं । कुवैत , ईराक , ईरान, सीरिया , लेबनान , अफगानिस्तान , पाकिस्तान , बांग्लादेश , फिलीस्तीन में करोड़ों मुस्लिम मारे गए हैं । रोज़ बम धमाके हो रहे हैं। जान सबको प्यारी है लेकिन उनमें धार्मिक उन्माद इतना भर दिया जाता है कि लोग खुशी - खुशी अपनी जान देने को तैयार हो जाते हैं । वे अपने को विस्फोट से उड़ा लेते हैं । खुद मरते हैं और दूसरों को भी मारते हैं । ऐसी बातों से लोग उकता गए हैं । कुछ लोग जो पहले सनातन धर्म ( हिंदू धर्म ) को छोड़ गए थे वे वापस हिंदू धर्म में आ रहे हैं ‌। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इंडोनेशिया की राजकुमारी कानजेंग राडेन महेंद्रानी का है जो कि 26 अक्टूबर 2021 ई. को इस्लाम धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म में शामिल हो गई हैं । इंडोनेशिया विश्व का सबसे बड़ा मुस्लिम देश है । जल्दी ही इंडोनेशिया हिंदू राष्ट्र बनेगा। वहां की मुद्राओं पर गणेश और लक्ष्मी की तस्वीरें हैं । भारत से बाहर अनेक धार्मिक संस्थाएं काम कर रही हैं जैसे , इस्कॉन , ब्रह्मकुमारी , अक्षरधाम मिशन इत्यादि जिनके माध्यम से विदेशी लोग भारत और भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं
मेरा दूसरा तर्क यह है कि हर चीज का एक संतृप्त बिंदु ( Saturated Point ) होता है । उसके बाद तो ढलान शुरू हो जाता है ‌‌। लगभग 57 देश मुसलमानों के हैं । अर्थात इस्लाम धर्म का संतृप्त बिंदु आ गया है अर्थात जितने शिखर पर इस्लाम धर्म पहुंचना था वहां तक इस्लाम धर्म पहुंच गया है। अब और आगे जाने की गुंजाइश नहीं है। आतंकवाद से दुखी होकर विदेश में बहुत से लोग इस्लाम को छोड़ रहे हैं । ऐसी खबरें फेसबुक और अखबारों में आ रही हैं । * मेरा तीसरा तर्क यह है कि सनातन धर्म में ऐसे गुण हैं जिन्हें कोई भी व्यक्ति सहर्ष स्वीकार कर सकता है । उदाहरण के लिए -- जीयो और जीने दो ( Live and Let live ) । दूसरा सिद्धांत --- "वसुधैव कुटुम्बकम" ( पूरा संसार ही मेरा कुटुंब है । ) * मेरा चौथा तर्क यह है कि बाजार में बहुत सारी दुकानें होती हैं -- मिठाई की दुकान , पान की दुकान , परचून की दुकान , दूध की दुकान , नमकीन की दुकान इत्यादि । दुनिया के सारे धर्म दुकानों की तरह हैं जहां कोई एकेश्वरवाद बेच रहा है , कोई साम्यवाद बेच रहा है , कोई धर्म को अफीम बता रहा है लेकिन हिन्दू धर्म तो दुकान नहीं माॅल है जहां सब चीजें एक स्थान पर एक छत के नीचे मिल रही हैं --- एकेश्वरवाद , बहुदेववाद , आस्तिकता , नास्तिकता , वैदिक दर्शन , चर्वाक दर्शन इत्यादि । "जो अच्छा लगे उसे अपना लो , जो बुरा लगे उसे जाने दो।"
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मेरा पांचवां तर्क यह है कि यह कोई हवा हवाई बात नहीं है । धारा 370 को हटाना , राममंदिर का निर्माण , तीन तलाक़ में बदलाव भी पहले हवा हवाई मुद्दे माने जाते थे लेकिन एक दिन वे सभी पूरे हो गए हैं । हिंदू राष्ट्र की योजना पर भी ऐसा ही होगा । भवन बनाने से पहले विचार आता है , फिर नक्शा और अंत में बिल्डिंग बनती है । हिंदू राष्ट्र का अभी तो विचार लोगों के दिमागों में आया है । एक दिन उस पर कार्यान्वयन भी होगा । हिंदू राष्ट्र बनने पर बहुसंख्यकों का ध्यान पहले रखा जायेगा और अल्पसंख्यकों का बाद में । देशविरोधी सोच रखने वालों को तुरंत दंडित किया जाएगा। हिंदू संस्कृति की मखौल उड़ाने वाली फिल्मों एवं टीवी सीरियल्स पर प्रतिबंध लगेगा । सच्चे इतिहास को पढ़ाया जायेगा । हर एक में देशभक्ति की भावना भरी जायेगी । परिणाम यह निकलेगा कि राष्ट्रवाद का विरोध करनेवाली या तुष्टिकरण करनेवाली पार्टियों का अस्तित्व ही मिट जायेगा और भारत विश्वगुरु एवं विश्वविजेता बनकर संसार का नेतृत्व करेगा।
आप देख रहे हे गोस्वामी चेतना

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