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दशनाम गोस्वामियों का राजनीतिक क्षेत्र में योगदान

                                     
         लेखक - गिरिवर गिरि गोस्वामी निर्मोही की कलम से.....
आप देख रहे हे गोस्वामी चेतना समाचार
प्राचीनकाल में दशनाम गोस्वामियों को शैव संन्यासी कहा जाता था। वे सांसारिक जीवन से दूर वैराग्यावस्था में घने वनों , दुर्गम पहाड़ों और अंधेरी कंदराओं में रहते थे । लेकिन जब वे राजदरबारों में जाते थे तो राजा भी उनके सामने सिंहासन छोड़कर खड़े हो जाते थे । वैदिक साहित्य और ग्रंथ 'गोत्र निबन्धकदम' में बहुत से गिरि , पुरी , भारती इत्यादि नामधारक राजाओं का उल्लेख मिलता है । शैव संन्यासी शैव मठों में रहते थे जिनके पास लम्बी - चौड़ी जायदादें होती थीं । उनको जागीरें दान में मिलती थीं । शैव संन्यासी लोग बड़े - बड़े अखाड़े चलाते थे जिनमें सैंकड़ों या हज़ारों की संख्या में चेले होते थे । अखाड़े का मतलब पहलवान का अखाड़ा नहीं है । अखाड़े का मतलब है संन्यासियों की धार्मिक सैन्य टुकड़ी अर्थात रेजीमेंट या बटालियन । शैव संन्यासी अच्छे लड़ाकू वीर सैनिक होते थे । कालांतर में शैव संन्यासियों की दो धाराएं हो गईं --- विरक्त और गृहस्थ । गृहस्थों को "गोसाईं" कहा जाता था। आजकल गोसाईं को "गोस्वामी" कहा जाता है और महाराष्ट्र में गोस्वामी को "गोसावी" कहा जाता है ।
पूना के पेशवाओं , बड़ौदा के गायकवाड़ों , इंदौर के होल्करों , ग्वालियर के सिंधियाओं , मेवाड़ के सिसोदिया राजपूतों , भरतपुर एवं हाथरस के जाटों और बंगाल के नवाबों की सेनाओं में गोसाईं सैनिक होते थे । भरतपुर के जाट राजा सूरजमल ने दिल्ली के लालकिले पर हमला बोला था तब दतिया के महंत राजेंद्र गोसाईं ने सूरजमल का साथ दिया था और वहां लालकिले के फाटक पर शहीद हो गया । पेशवा बाजीराव और मस्तानी के समय राजा हिम्मत गिरि ( उर्फ राजा अनूप गिरि ) का नाम पूरे बुंदेलखंड में गूंजता था । हैदराबाद दक्षिण में कई गोसाईं राजा हुए हैं जैसे- राजा प्रताप गिरि नृसिंह गिरि , राजा विश्वैशर गिरि वीरभान गिरि , राजा धनराज गिरि , राजा मुकुंद गिरि इत्यादि । गोसाईं राजा इतने धनवान थे कि हैदराबाद का निज़ाम भी उनसे कर्ज़ लेता था । नागपुर में महंत महेश पुरी गोस्वामी एक बड़े रियासतदार थे जिनकी रियासत में 75 गांव थे । यू.पी. के मुरादाबाद ज़िले में सलेमपुर गोस्वामियों की रियासत थी जिसमें 65 गांव थे । मुम्बई में गेटवे ऑफ इंडिया के सामने राजा धनराज गिरि का महल था जिसे बाद में भारतीय नौसेना के कार्यालय का रूप दे दिया गया जिसका स्वामित्व बाद में उसकी पुत्री इंदिरा धनराज गिरि के पास रहा ।
देश की आज़ादी के बाद बहुत से गोस्वामियों ने राजनीति में अपनी पहचान बनाई । नेपाल में डाॅ. तुलसी गिरि तीन बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने ( सन् 1960 - 63, 1964 - 65 , 1975 -77 ई. ) । श्री वी.वी.गिरि भारत के राष्ट्रपति बने ( 1969 - 74 ई. ) । जनता पार्टी के शासनकाल ( 1977-79 ई.) में असम निवासी श्री दिनेश गोस्वामी भारत के कानून मंत्री रहे । श्री प्रफुल्ल कुमार महंत असम के मुख्यमंत्री रहे ( 1995 - 90 , 1996 - 2001ई. ) । चंद्रशेखर सरकार में इलाहाबाद निवासी श्री आनंद देव गिरि भारत के सोलीसिटर जनरल रहे । कु.मायावती के मुख्यमंत्रीकाल में आनंद देव गिरि जी के पुत्र श्री आनंद शेखर गिरि को यू.पी. में राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया । यू.पी. के ज़िला खीरी के गोलागोकर्णनाथ निवासी श्री अरविन्द गिरि चार बार विधायक बने हैं । पंजाबी गोस्वामी श्री रमाकांत गोस्वामी दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार में परिवहन मंत्री रह चुके हैं । राजापुर ( बांदा ) निवासी श्री राधाकृष्ण गोस्वामी उत्तर प्रदेश के गृह - शिक्षा - बिजली मंत्री थे। बिहार में कटिहार लोकसभा क्षेत्र से जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर श्री दुलाल चंद्र गोस्वामी सांसद बने हैं । हिमाचल प्रदेश से बीजेपी के टिकट पर इंदु गोस्वामी जी राज्यसभा सांसद हैं । टीकमगढ़ ( मध्य प्रदेश ) से बीजेपी के टिकट पर श्री राकेश गिरि विधायक हैं ।
आधुनिक दौर में दशनाम गोस्वामियों का एक भी मंत्री नहीं है । करोड़ों की संख्या में होने का दावा करनेवाले गोस्वामियों के लिए बड़े शर्म की बात है । गोस्वामियों के पूरे देश में सैंकड़ों संगठन कार्यरत हैं । कुछ तो केवल कागज़ों तक सीमित हैं । इनमें आपस में कोई तालमेल नहीं है । ये एक - दूसरे की टांग खिंचाई पर लगे हुए हैं । जब तक ये सब एक मंच पर नहीं आते तब तक गोस्वामी समाज का भला नहीं होनेवाला है। कई गोस्वामियों को शिकायत है कि राजनीतिक दल गोस्वामियों को टिकट नहीं दे रहे हैं । मेरा यह कहना है कि कुछ तो कमियाँ हमारे अंदर रही होंगी वरना ऐसा नहीं हो सकता है कि कोई हमें नज़रअंदाज़ कर दे । अपने को काबिल बनाइये , शक्तिशाली बनाइये , धनवान बनाइये फिर देखिये क्या होता है । किसी एक पार्टी से दिल से जुड़िए और लगातार काम कीजिए । वक्त की नज़ाकत को समझिये । राजनीतिक हवा का रुख पहचानिये । स्व. श्री राम विलास पासवान की तरह राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक बनिये या फिर सत्ता को हिलाने की ताकत अपने अंदर रखिये । फिर देखिए क्या हश्र होता है ? खाली अपने को महान मानने से कुछ नहीं होगा । दूसरे लोग हमें महान मानें तो बात बनेगी । बिरादरी को यदि ताकतवर एवं सम्पन्न बनाना है तो हमें सत्ता के निकट रहना ही पड़ेगा क्योंकि सत्ता और सम्पन्नता में एक गहरा नाता है जिसे समझने की ज़रूरत है । उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव ( 2022 ई. ) को ध्यान में रखकर श्री अनूप गिरि ( अयोध्या ) ने "शक्तिमान समाज पार्टी" की स्थापना कर ली है जिस पर गोस्वामियों का वर्चस्व है। अब देखना यह है कि उनको चुनाव में कितनी सफलता मिलेगी । गोस्वामी लोगों को उनकी इस पहल का स्वागत करना चाहिए और सहयोग भी देना चाहिए।
एक सुझाव यह भी आ रहा है कि अखिल भारतीय स्तर पर गोस्वामियों का एक महासंघ बनाया जाये जिसमें हर प्रदेश के गोस्वामियों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए । इस समय भारत में लगभग 167 गोस्वामी संगठन अस्तित्व में हैं । उनके अध्यक्ष महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जायें । गोस्वामी जाति में जिन लोगों का ज्यादा नाम है उनको महासंघ का संरक्षक या सलाहकार बनाया जाये । महासंघ का एक राष्ट्रीय अध्यक्ष हो । राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जिस पर धन - जन - बल की कोई कमी न हो और जिसमें जातीय प्रेम और समर्पण हो । इसके लिए एक नाम उभरकर आ रहा है --- उत्तर प्रदेश के लखीमपुर - खीरी जिले के गोलागोकर्णनाथ निवासी श्री अरविन्द गिरि जो चौथी बार विधायक बने हैं । ये गोलागोकर्णनाथ में स्थित शिव मंदिर ट्रस्ट के भागीदार भी हैं । ये शहर के चेयरमैन रह चुके हैं। इनके दादा अंग्रेजी हुकूमत में ऑनरेरी मजिस्ट्रेट थे और इनके दादा के छोटे भाई लखनऊ में एस. डी. एम. थे । इनके पिता जनता पब्लिक काॅलेज में प्रिंसिपल थे । इनके पिता के नाम पर गोलागोकर्णनाथ में एक स्टेडियम बना हुआ है। ये भारतीय जनता पार्टी में विधायक हैं । इस पार्टी की केंद्र और उत्तर प्रदेश में सरकार है । महासंघ का एक महासम्मेलन लखनऊ या प्रयागराज या काशी या दिल्ली में आयोजित किया जाये और जिसमें श्री राजनाथ सिंह ( रक्षा मंत्री ) , योगी आदित्यनाथ ( मुख्यमंत्री , उत्तर प्रदेश ) , इंदु गोस्वामी ( हिमाचल प्रदेश से बीजेपी राज्यसभा सांसद ) , श्री दुलाल चंद्र गोस्वामी ( कटिहार से जेयूडी लोकसभा सांसद ) , श्री अरविन्द गिरि ( गोलागोकर्णनाथ से बीजेपी विधायक ) , श्री राकेश गिरि ( मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से बीजेपी विधायक ) , श्री शंकर लालवानी ( इंदौर से बीजेपी लोकसभा सांसद ) , श्री नारायण गिरि ( महंत , दूधेश्वरनाथ मंदिर , गाजियाबाद ) , संन्यासी श्री हरि गिरि ( महासचिव, जूना अखाड़ा ) , श्री विजय शंकर गिरि ( महंत , श्री बड़ी पाटन देवी मंदिर , पटना ) , श्री मानसिंह गोस्वामी ( पश्चिमी उत्तर के उभरते हुए गोस्वामी नेता ) , श्री शंकर गिरि ( बनारस में जनता पार्टी की कार्यकारिणी में महामंत्री ) , श्री महेन्द्र गिरि दौलत गिरि ( पूर्व अध्यक्ष , गुजरात दशनाम गोस्वामी समाज , भावनगर ) , श्रीमती वर्षा वन ( डिप्टी कमिश्नर ऑफ दिल्ली पुलिस ), श्री सुबोध गोस्वामी ( एडीशनल डिप्टी कमिश्नर ऑफ दिल्ली पुलिस ) इत्यादि को आमंत्रित किया जाये । वहां गोस्वामियों की शक्ति का प्रदर्शन होना चाहिए और गोस्वामियों को चुनावों में टिकटों की मांग की जाये और गोस्वामी विधायकों एवं सांसदों को मंत्री बनाये जाने की भरपूर मांग की जाये ।


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