संकलन - आदित्य गोस्वामी मोरवन नीमच म.प्र.
शिवाश्रम एवं दत्त मंदिर , धुले में
भव्य नव निर्माण का कार्य जारी है l
खानदेश का इतिहास
वर्तमान महाराष्ट्र के तीन जिलों -- जलगांव , धुले , नंदुरबार -- के क्षेत्र को मुस्लिम काल और ब्रिटिश काल में खानदेश कहते थे । खानदेश महाराष्ट्र के दक्षिण पठार के उत्तर - पश्चिमी कोने पर एक क्षेत्र था जो कि बम्बई ( मुम्बई ) से 300 किमी. दूर उत्तर - पश्चिम दिशा में स्थित था । 1295 ई. तक खानदेश असीरगढ़ के चौहानों के अधीन था । इसे दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने अपने कब्जे में लिया था । फिर यह दिल्ली के राजवंशों के कब्जे में रहा । सन् 1370 - 1600 ई. तक फारूखी वंश के बुरहानपुर में राजधानी के साथ खानदेश पर शासन किया । एक स्वतंत्र राज्य के रूप में खानदेश की नींव खानकाह फारूखी के पुत्र मलिक राजा द्वारा रखी गई थी ।दिल्ली के बादशाह फिरोज़ तुगलक ने मलिक राजा को खानदेश का सेनापति नियुक्त किया था लेकिन फिरोज़ तुगलक की मृत्यु के बाद सन् 1399 ई. तक मलिक राजा ने खानदेश पर शासन किया ।
दिल्ली के बादशाह अकबर ने सन् 1601 ई. में खानदेश और असीरगढ़ को अपने कब्जे में कर लिया । खानदेश का नाम बदलकर दानदेश रखा गया ।
मराठों ने सन् 1670 ई. में खानदेश पर छापे मारे । ऐसा ही लगभग एक शताब्दी तक चला । सन् 1760 ई. में मराठा शासक पेशवा ने मुगल शासक को बाहर करके खानदेश को अपने अधीन कर लिया । पेशवा बाजीराव द्वितीय ने जून 1818 ई. ने अंग्रेजों के आगे आत्मसमर्पण कर दिया जिससे खानदेश ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में चला गया ।
अंग्रेजों ने खानदेश को बॉम्बे प्रेसिडेंसी के तहत एक जिला बनाया । सन् 1906 ई. में जिले को दो जिलों में बांट दिया --- पूर्वी खानदेश जिसका मुख्यालय जलगांव में बना ( क्षेत्रफल : 11770 किमी. ) जबकि पश्चिमी खानदेश का मुख्यालय बना धुले ( क्षेत्रफल : 14240 किमी ) ।
सन् 1947 ई. में भारत को आजादी मिली । बॉम्बे प्रेसिडेंसी को बॉम्बे राज्य ( Bombay State ) बनाया गया । 1 मई 1960 ई. को भाषायी आधार पर बॉम्बे राज्य का विभाजन हो गया और दो प्रदेश बने -- महाराष्ट्र और गुजरात । मराठी बोलनेवाले महाराष्ट्र में रहे और गुजराती बोलनेवाले गुजरात में रहे । जलगांव जिला ( पूर्वी खानदेश ) और धुले ( पश्चिमी खानदेश ) महाराष्ट्र के हिस्से माने गये । बाद में 1 जुलाई 1998 ई. को धुले जिले को काटकर एक नया जिला बना दिया गया जिसका नाम है नंदुरबार ।
खानदेश का गोस्वामी समाज
सन् 1966 ई. में गोस्वामी समाज की मीटिंग हुई । वहाँ एक प्रस्ताव पारित हुआ कि "समाज के संगठन ( संस्था ) पंजीकरण कराया जाये ।" सन् 1968 ई. में पंजीकरण का कार्य पूरा हुआ ।
संस्था के इतिहास की मान्यता के अनुसार पहले अध्यक्ष थे स्व. श्री विनायक गिरि तापी गिरि गोस्वामी , दूसरे अध्यक्ष थे स्व. श्री बी. के. भारती साहब । उन्होंने गांव - गांव पैदल जाकर इस योजना के बारे में गोस्वामियों को बताया और लोगों का विश्वास जीता । फिर चंदा जुटाने की शुरुआत हुई । तीनों जिलों ( जलगांव , धुले , नंदुरबार ) में गोस्वामियों की अच्छी तादाद थी । तब की बात मानें तो धुले और नंदुरबार आर्थिक रूप से सम्पन्न थे लेकिन जलगांव आर्थिक रूप से कुछ पिछड़ा हुआ था । जलगांव की अमलनेर तहसील में एक गांव का नाम "नगांव" है जहाँ गोस्वामी समाज के लोगों की तादाद अच्छी थी । वहीं के श्री नाना गिरि धुडकु गिरि गोस्वामी ( जो अभी जीवित हैं ) एक उद्योगपति हैं जिनका अच्छा योगदान रहा ।
उसी दौरान शिवाश्रम ( दत्त मंदिर ) के लिए ज़मीन खरीदी गई जिस पर 23 × 60 फीट आकार में पांच कमरे बनाए गए । "शिवाश्रम" को धुले ( धुलिया ) का स्वर्ग कहा जाता है । विद्या नगरी से पहचाने जानेवाला दत्त मंदिर तो स्वामी नारायण रोड पर स्थित है । जो पांच कमरे बनवाए थे उनमें गोस्वामियों के गरीब तबके के विद्यार्थियों को मुफ्त में ठहराया जाता था और आज भी ऐसा ही हो रहा है । नौकरी हेतु जिला स्तर आये समाज के गोस्वामी भाइयों को कम भाड़े पर कमरे उपलब्ध कराये जाते हैं । जिस तस्वीर पर "शिवाश्रम" लिखा हुआ है वह बिल्डिंग पुरानी है और जो वर्तमान में नया निर्माण कार्य चल रहा है वह 23 × 60 फीट का चल रहा है वह नयी बिल्डिंग है । कुल मिलाकर 46 × 60 फीट आर. सी. सी. कंस्ट्रक्शन और जो सामने दिखाई दे रहा है वह शेड जहाँ सैंकड़ों लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा सकती है । फिलहाल निर्माण कार्य जोरों पर है ।
संस्था की आय के स्रोत
तीसरे अध्यक्ष स्व. श्री विनायक बाबू गिरि गोस्वामी और वर्तमान अध्यक्ष श्री साहेबराव कालू गिरि गोस्वामी और उनकी पूरी टीम आज भी संस्था में लगनेवाला खर्चा अपनी जेब से करते हैं । तीन साल पहले तक संस्था का कोई निश्चित आय का स्रोत नहीं था । जब इस जगह को एक इंग्लिश मीडियम स्कूल को किराये पर दिया तो 15000/- ( पंद्रह हजार रुपये ) प्रति मिलने लगे लेकिन कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन हो गया जिससे पिछले साल से स्कूल बंद है और किराया भी नहीं मिला है । ऐसी हालत को देखकर नि:संतान परंतु दरियादिल इंसान श्री हिलाल पुरी बिंदु पुरी गोस्वामी ने संस्था को पांच लाख रुपये की धनराशि दी है । इस समय जो निर्माण कार्य चल रहा है उसके लिए संस्था के संचालक श्री आबा साहब विजय गिरि गोसावी ने सवा से डेढ़ लाख रुपये खर्च किये हैं । संस्था के वर्तमान अध्यक्ष श्री साहेबराव ने एक लाख रुपये की धनराशि अर्जित की है । संचालक महोदय के साले वर्तमान खजिनदार ( कोषाध्यक्ष ) श्री शरद गोस्वामी ने एक लाख रुपये की धनराशि दी है । संचालक महोदय के चचेरे भाई श्री चंद्रकांत भगवान गिरि गोस्वामी जो एक खाद कम्पनी में मैनेजर हैं ने 111111/- रुपये देने की बात कही है । दो - चार दिनों में वह धनराशि आने की सम्भावना है । श्री सुरेंद्र गिरि ( बावा राव साहब ) जो समृद्धि मार्ग पर इंजीनियर हैं उनका भी संस्था के लिए बड़ा योगदान है । उपाध्यक्ष श्री नाना साहब माधव गिरि चिंथु गिरि ने अपने जन्मदिन पर संस्था के लिए दान की अपील की थी । उससे लगभग एक लाख रुपए जमा हो गए हैं । श्री सुरेश गिरि रमण गिरि गोस्वामी बिजली विभाग अलीबाग महाराष्ट्र जिन्होंने इसी भवन में पढ़ाई करके मुकाम हासिल किया है एक लाख रुपये भवन निर्माण हेतु दिये हैं । ये संचालक महोदय के चचेरे भाई के साले हैं । संस्था की टीम जहाँ भी जाती है वहीं लोगों से अपील करती है कि संस्था के लिए यथासंभव दान करें ।
संस्था द्वारा गोस्वामियों को सुविधाएं
बाहर कोई गोस्वामी आता है तो उसके ठहरने की मुफ्त व्यवस्था की जाती है । यदि शिवाश्रम में आकर कोई गोस्वामी शादी , बर्थडे पार्टी , समाज मेला , मीटिंग रखता है तो उससे कोई शुल्क नहीं लिया जाता है । कोई मीटिंग हो या कोई कार्यक्रम हो या समाज मेला हो या फिर विद्यार्थी गुण गौरव समारोह हो उसका कोई भी खर्चा संस्था के नाम पर नहीं डाला जाता है । मुख्यालय ( हैड ऑफिस ) में आने - जाने का खर्चा सभी लोग अपनी - अपनी जेबों से करते हैं ।
वर्तमान में गोस्वामी समाज के पदाधिकारी
अध्यक्ष :- श्री साहेबराव कालू गिरि गोस्वामी
कार्याध्यक्ष :- श्री मनोज गंगाधर गोस्वामी
तीन जिलों से तीन उपाध्यक्ष
उपाध्यक्ष :- श्री वासुदेव गंगा गिरि गोस्वामी ( जलगांव )
श्री किरण भोगीलाल भारती ( धुले )
श्री नाना साहब माधव गिरि चिंथु गिरि ( नंदुरबार ) । संस्था का सारा कामकाज ये ही संभालते हैं ये सबसे अधिक बुजुर्ग एवं अनुभवी हैं ।
खजिनदार ( कोषाध्यक्ष ) :- श्री शरद भगवान गिरि गोस्वामी
सचिव :- श्री अशोक गिरि बारकु गिरि गोस्वामी
सह सचिव :- श्री नवनीत रणछोड़ गोस्वामी
संचालक मंडल :- संचालक श्री आबा साहब विजय गिरि गोसावी । इन्हे छोडकर और भी 27 लोग संचालक मंडल में समाहित हैं जिनमें
श्री प्रदीप गिरि गोस्वामी पत्रकार , श्री सुरेंद्र गोस्वामी इंजीनियर राव साहब
जैसे लोग शामिल हैं ।
संस्था की ओर से दान की अपील
जो सज्जन संस्था को दान देना चाहते हैं उनका सदैव स्वागत है :-
खाताधारक का नाम : ( Account Holder's name ) : Dashnam Goswami Samaj
खाता संख्या (Account No ) : 20150268682
आईएफएससी कोड ( IFSC Code ) : MAHB0000348
बैंक का नाम ( Name of Bank ) : Bank of Maharashtra
बैंक का स्थान ( Place of Bank ) : Deopur , Dhule , Maharashtra
गिरिवर गिरि गोस्वामी निर्मोही , नयी दिल्ली , 9818461932
यह विवरण श्री आबा साहब विजय गिरि गोसावी के द्वारा प्रेषित जानकारी पर आधारित है । कृपया कोई भी रकम दान में देने का स्क्रीनशॉट या पावती इस नंबर पर भेजिए : 9823662286 ताकि जिन जिन दाताओं ने हमें मदद की है उनका हम शुक्रिया अदा कर सकें ।
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