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नकारात्मक सोच समाज विकास में बाधक ।


 

 रमेश भारती मोरवन नीमच म.प्र.

 सम्पूर्ण भारत में दशनाम गोस्वामी समाज के विभिन्न संगठन अपने अपने स्तर व क्षमता से सतत समाज विकास के लिए कार्य कर रहे है । सबके अपने गुणा भाग भी रहते है । किंतु वैचारिक मतभेद के कारण शक्ति एक दिशा में न होकर बिखरी हुई हैं । परिणाम स्वरूप आशातीत सफलता प्राप्त होने मे बाधाएँ हैं । जब राजनैतिक दल सत्ता प्राप्त करने के लिए विरोधाभासी विचारधारा वाले दलो से गठबंधन करके अपने लक्ष्य तक पहुंच जाते है । तो सभी संगठन क्यों नहीं पवित्र समाज विकास एवं सामाजिक उन्नति के लिए एक साथ नही आ पाते है । यह विचारणीय हैं । खैर आशा करते है ऐसा पवित्र विचार निश्चित सच्चे भाव से समाज सेवा में लगे बंधुओं के मन में आयेंगे, विश्वास करते है । 


    किंतु पिछले बारह वर्षों के अनुभव के बाद हम ऐसा सोचते है कि सोये हुए को जगाना सहज है किंतु जो नींद का बहाना बनाकर सोते हैं उन्हें जगाना बहुत कठिन है । इसी प्रकार कुछ कुंठित मानसिकता के कारण भी जो स्वयं कुछ करना नही चाहते वे अन्य को भी कुछ करने देना नही चाहते । वे जानबूझकर अपने रिश्तेदारों को साथ लेकर निःस्वार्थ रूप से समाज सेवा में लगे बंधुओं को भी नकारात्मक विचार फैलाकर टांग खिंचाई मे लग जाते है । जिससे अपना तन मन धन लगाकर कार्य करने वाले समाजसेवी के मन में निराशा आ जाती हैं । योजनाबद्ध तरीके से आयोजन करने वाले समाज सेवको को अपने पथ से डिगाने के लिए एक ही तिथि में आयोजन तय कर समाज को दिग्भ्रमित कर लेते है । आम स्वजातीय बंधु समझ नहीं पाता है । व आम व्यक्ति के मन में सच्चाई व वास्तविकता समझने में भी कठिनाई हो जाती हैं । नकारात्मक सोच कुंठित मानसिकता वाले स्वयं कुछ करते नही, दूसरों को कुछ करने देते नही । एसी वृत्तियों वाले की सोच जो समाज के लिए कार्य करे सबसे पहले इनसे अनुमति ले,स्वयं किसी तरह का सहयोग नहीं करेंगे, इन्हें मंच दे मनचाहा बोलने का अवसर दे । सामाजिक आयोजनों का आय व्यय नही मांगना ये जब चाहे चंदा दो । इस प्रकार की बाधाएं हर क्षैत्र मे देखने को मीलती हैं । किंतु जहाँ ऐसी विचारधारा को हावी नहीं होने दिया जाता हैं वहाँ समाज विकास के क्षैत्र मे बहुत आगे हैं । समाज के छोटे से छोटे व्यक्ति को मुख्य धारा में लाने में सहयोगी बन रहे है । आध्यात्मिक शैक्षणिक व आर्थिक रूप से समाज उन्नति कर रहा होता हैं । कहा है -- राष्ट्र का नुकसान दुष्टों ने नही सज्जनों की निष्क्रियता से होता हैं । इसलिए नकारात्मक व कुंठित मानसिकता से सदैव दूर रहकर मजबूती से ऐसी वृत्तियों का जवाब देना चाहिए । व सकारात्मक सोच वाले बंधुओं को साथ लेकर समाज के छोटे से छोटे बंधुओं को साथ लेकर वर्ष मे एक या दो आयोजन करना चाहिए व ऐसे मजबूत संगठन की कल्पना रहना चाहिए कि संगठन से सज्जनों को न्याय व संरक्षण मीलने व दुष्ट व समाज विरोधियों को संगठन से भय नजर आये । सबको साथ लेकर ईमानदारी शुचिता से समाज के सर्वींगीन विकास के लिए आगे आये । नकारात्मक सोच को शक्ति से मुकाबला करने का साहस पैदा करे । 

     सादर नमोनारायण ।

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1 टिप्पणियाँ

  1. *ऊँ: ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम:*
    *गुरुर ब्रह्मा,गुरुर विष्णु,गुरुर देवो महेश्रवरा।*
    *गुरुर साक्षात परब्रह्मा तस्म्यी श्री गुरुवे नमः*
    *कौन से कपड़े पहनूं जिससे मै अच्छा लगूं ये तो हम हर रोज सोचते हैं पर कौन सा कर्म करुं जिससे मै भगवान को अच्छा लगूं ये कोई कभी भी नही सोचता तन की खूबसूरती एक भ्रम है!सबसे खूबसूरत आपकी वाणी है! चाहे तो दिल जीत ले चाहे तो दिल चीर दे!इन्सान सब कुछ कॉपी कर सकता है!लेकिन किस्मत व नसीब नही! मेहनत का फल व समस्या का हल देर से ही सही पर मिलता जरूर है क्या खूब कहा है किसी ने थक कर बैठा हूँ हार कर नहीं! सिर्फ बाज़ी हाथ से निकली है ज़िन्दगी नहीं!*
    *सदा खुश रहिये, हँसते रहिये हँसाते रहिये।*
    *मास्क लगाए। दूरी रखे। सेनेटाइज से हाथ धोएं। बेटी बचाये, बेटी पढाये, वृक्ष लगाये, स्वच्छता रखें। जल बचाये, देश बचाये। रक्तदान/अंगदान/नेत्रदान महादान।*

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