प्रहलाद वन गोस्वामी मानसहंस
दशनामी तुम जगतगुरु हो,अपने स्वरूप को पहचानो |
वेद ज्ञान के पावन प्रकाश से, जगती भर को चमकाओ |
दत्तात्रेय के अमर पुत्र हो, शंकर के तुम अनुगामी आत्म ज्ञान का दीप जलाकर फिर बन जाओ तुम प्रतापी|
अद्वेत के एक्य मंत्र का तुम फिर संत नाथ करो भगवा के पावन स्वरूप का जन - जन मैं संचार करो ||
तत्वमसि, व प्रज्ञान ब्रह्म का पावन संदेश पहुंचाओ |
दशनामी तुम जगतगुरु हो अपने स्वरूप को पहचानो।
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