Hot Posts

6/recent/ticker-posts

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च ) के उपलक्ष्य में निर्मोही की कविता


नारी ! तेरी महिमा न्यारी । 

नारी ! तुझसे दुनिया सारी।।


गौरी, गंगा, गोपा, गीता,

 मंझा,सोनी,सलमा,सीता।

कुन्ती,मरियम,मैरी,अहिल्या,

 सावित्री, रत्ना, कौशल्या ।

रानी झांसी लक्ष्मीबाई, 

मां शिवा की जीजाबाई।

लक्ष्मी,दुर्गा , मेनका, रम्भा,

 विद्योत्तमा,दमयंती,अम्बा।

द्रौपदी,कैकेयी,सुरसा,बेला, 

रज़िया,जूलियट, हीर,लैला।

तेरे नाम अनेक हैं नारी । 

नारी !तेरी महिमा न्यारी।।


प्यार की हर उमंग के पीछे, 

दुनिया की हर जंग के पीछे।

दर्दीले हर गीत के पीछे, 

जिस्मानी हर प्रीत के पीछे।

तड़पन और वियोग के पीछे, 

होनेवाले एड्स के पीछे।

प्रेम रोग के दर्द के पीछे, 

कामयाब हर मर्द के पीछे।

होती है एक नारी, 

नारी ! तेरी महिमा न्यारी।।


गंगा की तुझमें पावनता,

 हिमगिरि की तुझमें शीतलता।

है बिजली की तुझमें चपलता,

 चट्टानों जैसी है सबलता।

क्रोध में तू है जलती ज्वाला,

 प्रेम में तू है रस की माला।

तू चाहे तो सूली चढ़ा दे, 

तू चाहे तो ताज दिला दे।

तेरे चरित को देव ना जाने,

 मानव आखिर क्या पहचाने ? 

तेरे रूप अनेक हैं नारी,

 नारी! तेरी महिमा न्यारी।।


दुनिया में गर नार ना होती,

 ये दुनिया कुछ और ही होती।

ममता, करुणा, दया ना होती,

 लाज, शरम और हया न होती।

ना होते गृहस्थी के झमेले, 

लोग रहते अकेले-अकेले।

कोई किसी के पास ना जाता, 

ना किसी से प्यार जताता।

जग में रहती उदासी- उदासी, 

ना कोई ठट्टा, ना कोई हांसी।

दुनिया में तब मन नहीं लगता, 

सूना- सूना सब जग लगता।

दुनिया में कोई घर नहीं बनता,

 आदमी कोई तन नहीं ढकता।

ना दुल्हन, बारात न होती,

 दहेज से कोई मौत न होती।

ना पत्नी, ना भाभी होती, 

ना बेटी "निर्मोही" होती।

ना होती महतारी,

 नारी! तेरी महिमा न्यारी।।


© "निर्मोही गीतमाला" से। गीतकार - गिरिवर गिरि गोस्वामी निर्मोही , नयी दिल्ली, 9818461932

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ