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एक परिचय दिल्ली के गोस्वामी गौरव दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री श्री रमा कांत गोस्वामी

प्रस्तुतिकरण :- आदित्य रमेश गोस्वामी मोरवन 

नयी दिल्लीवासी श्री रमा कांत गोस्वामी एक पंजाबी गोस्वामी हैं । इनका  जन्म  29 अक्टूबर सन् 1944 ई. को लाहौर ( पाकिस्तान ) में हुआ  था । भारत विभाजन पर इनका परिवार दिल्ली में आकर बस गया था । दिल्ली में पंजाबी विस्थापितों को बसाने में इनके दादा स्व.श्री गोस्वामी गणेश दत्त की अहम् भूमिका रही । वे उच्चकोटि के विद्वान थे । उनके नाम पर पंजाब में कई कॉलेज हैं । उनके नाम पर दिल्ली और पंजाब में क्रिकेट क्लब हैं । वे पंडित जवाहरलाल नेहरू के बहुत निकट थे । 

 रमा कांत जी के पिता भी एक महाविद्वान थे  जिनका नाम स्व. श्री गिरिधारी लाल गोस्वामी था । वे ज्योतिष में पीएच. डी. थे ।नयी दिल्ली में नारायणा से लेकर पटेल नगर तक की सड़क का नाम "डॉ. गिरिधारी लाल गोस्वामी मार्ग" है । शादीपुर के पास पटेल नगर के चौक का नाम -- "डॉ. गिरिधारी लाल चौक"  है । 

                     गोस्वामी  रमा कांत जी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.( हिंदी ) , पत्रकार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा है । पहले ये पत्रकार थे । ये दैनिक  हिंदी  समाचार "हिंदुस्तान" के संवाददाता थे । 

कालांतर में ये कांग्रेस में शामिल हो गये और इनका सुंदर राजनीतिक सफ़र शुरू हुआ ।  ये कई बार लगातार विधायक बने । ये  दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित के चहेते बन गये जिसका परिणाम यह निकला कि दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष , दिल्ली कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचेतक , मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव , उद्योग मंत्री , श्रम मंत्री , चुनाव मंत्री , कानून एवं न्याय मंत्री , परिवहन मंत्री रहे । इनकी छवि एक साफ-सुथरे नेता की रही ।

संस्थाओं और संगठनों से सम्बद्धता :- ये विभिन्न संस्थाओं और संगठनों से जुड़े , उदाहरणार्थ -- महासचिव - अखिल भारतीय सनातन धर्म प्रतिनिधि सम्मेलन , महासचिव - अखिल भारतीय संस्कृत संस्थान , महासचिव - दिल्ली कांग्रेस कमेटी , महासचिव - दिल्ली पत्रकार संघ , महासचिव - दिल्ली अपराध प्रतिवेदक संघ , उपाध्यक्ष - अपंगों एवं गरीबों के पुनर्वास हेतु निर्मित जीवन आस्था सोसायटी , उपाध्यक्ष - बिड़ला मंदिर , उपाध्यक्ष - सनातन धर्म कॉलेज अम्बाला कैंट , अध्यक्ष - जी.डी. बिड़ला मैमोरियल सोसायटी नयी दिल्ली , अध्यक्ष - अंतरराष्ट्रीय सनातन धर्म सभा नयी दिल्ली , अध्यक्ष - हिंदुस्तान टाइम्स थ्रिफ्ट एण्ड क्रेडिट सोसायटी नयी दिल्ली , संरक्षक - लायंस क्लब ऑफ कनिष्का नयी दिल्ली , चेयरमैन - सनातन संस्कृत संस्थान नयी दिल्ली , अध्यक्ष - पंजाबी संस्कृत संस्थान नयी दिल्ली ,सदस्य - गोस्वामी गणेश दत्त कॉलेज चण्डीगढ़ , होशियार पुर कांगड़ा ( हिमाचल प्रदेश ) तथा पलवल ( हरियाणा ) की एग्जीक्यूटिव कमेटी , सदस्य - माता वैष्णो देवी गुफा बोर्ड कमेटी जम्मू , उपाध्यक्ष - डॉ.गिरिधारी लाल गोस्वामी प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान नयी दिल्ली , सदस्य -  शिकागो प्रतिनिधि मंडल , चेयरमैन - कालिन्दी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय , विजिटिंग प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय ।

प्राप्त सम्मान एवं पुरस्कार :- उप राष्ट्रपति डॉ. के. आर. नारायणन द्वारा ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ इंटेलेक्चुअल्स अवार्ड ( 1983 ) , सामवेद पुरस्कार ( 1983-84 ) , मानव अधिकार पुरस्कार भारत ( 1984 - 85 ) , मातृश्री पुरस्कार ( 1978 - 79 तथा 1985 - 86 ) , के. एम . मुंशी पुरस्कार ( 1986 - 87 ), मीडिया अवार्ड ( 1987 - 88 ) , शहीद दास मेला पुरस्कार ( 1987 ) , जवाहर लाल नेहरू शताब्दी समारोह पुरस्कार (1989 ) , भारतीय दलित अकादमी द्वारा डॉ.अम्बेडकर विशिष्ट सेवा पुरस्कार ( 1992 ) , भारत रत्न राजीव गांधी जन्म वर्षगाँठ स्मृति पुरस्कार ( 1992 ) , लायंस कनिष्का अवार्ड ( 1998 ) , हिंदी अकादमी द्वारा विशिष्ट हिंदी पुरस्कार ( 2003 )।

गोस्वामी समाज दिल्ली से जुड़ाव :- सन् 1996 में गोस्वामी समाज दिल्ली गोस्वामी तुलसीदास की पंचशती जयंती समारोह को दिल्ली में बड़े स्तर पर मनाना चाहता था ।  उस समय मैं समाज का महासचिव था । उस मामले कुछ लोगों को लेकर मैं रमा कांत जी से इनके कार्यालय में मिला । उस समय ये हिन्दुस्तान अखबार में संवाददाता थे । इन्होंने पूरी तरह से सहयोग का आश्वासन दिया । उस अवसर पर लालकिले से लेकर रामलीला मैदान तक एक अति भव्य और विशाल जूलूस दिल्ली में निकला । आजतक इतने गोस्वामी दिल्ली में कभी इकट्ठे नहीं हुए । जूलूस का उदघाटन इन्होंने ही किया था । तब से लेकर अबतक ये गोस्वामी समाज दिल्ली से जुड़े रहे हैं ।

 इनका व्यक्तित्व बहुत प्रभावशाली है - एकदम गोरा रंग , लम्बा - चौड़ा शरीर , ऊंचाई लगभग छ: फीट , सिर के बाल बिल्कुल सफेद , भारी आवाज़ , बोलने में शिष्टता ।

जहाँ तक इनके साथ मेरे सम्बंधों का सवाल है , मैंने नि:स्वार्थ भाव से इनके लिए इनके चुनाव क्षेत्रों में जाकर इनका चुनाव प्रचार किया । प्रथम जनवरी 2003 ई. को मेरी पहली पुस्तक "निर्मोही गीतमाला" प्रकाशित हुई थी जिसमें मैं  इनका "आशीर्वचन" छापना चाहता था । मैं सुबह दस बजे इनके कार्यालय में पहुंचा और इनसे भेंट करके अपना मंतव्य इनको बताया । इन्होंने अपने पी. ए. को ऐसा करने का आदेश दिया । पी. ए. में अपनी कुछ अकड़ थी । वह काम को टालता रहा ।  इसी बीच इन्हें विधानसभा में जाना पड़ गया । वे शाम को पांच बजे कार्यालय लौटे और मुझसे पूछा -- "क्या अभी तक यहीं बैठो हो ? क्या आपका काम नहीं हुआ ?" मैंने कहा -  "अभी तक काम नहीं हुआ है ।" जैसे इन्होंने मेरा वाक्य सुना तो ये अपने पी. ए. पर आग बबूला हो गये और उसे आदेश दिया कि - "पांच मिनट में मैटर को टाइप करके , मेरे हस्ताक्षर कराकर फौरन लैटर इनको दो ।" ऐसा लगा जैसे पी. ए.  की तो  जान ही निकल गई हो । वह जल्दी - जल्दी  मैटर टाइप कर रहा था । वह मेरे से खुसर - पुसर कर रहा था -- "सरजी ! मुझे माफ कर दो । मुझे नहीं पता था कि आप साहब के इतने निकट हो ।" एक दूसरी घटना भी याद आ रही है ।  मैं पत्रिका "गोस्वामी समाज दर्पण" का सम्पादक था । रमा कांत जी जीवनपरिचय मैंने पत्रिका में छापा था । उसको दिखाने के लिए रविवार को मैं और महंत सच्चिदानंद गिरि इनके निवास पर गये । वहाँ भारी सिक्योरिटी का इंतजाम था । सिक्योरिटी ऑफिसर ने कहा - "आज रविवार है । आज छुट्टी रहती है । आज साहब से मुलाकात नहीं हो सकती ।" हमने ऑफिसर को बताया -- "हम कोई सरकारी या गैर सरकारी काम लेकर नहीं आये हैं । हम तो उनसे पर्सनल मिलने आये हैं । अंदर जाकर हमारा नाम बता दीजिए । वे हमसे ज़रूर मिलना पसंद करेंगे ।" वे अधिकारी नहीं माने । हमने मोबाइल से उनके पर्सनल नम्बर पर फोन कर दिया । वे तुरंत बाहर आये और हमसे मिले । सिक्योरिटीवाले आंखें फाड़ - फाड़कर हमें देख रहे थे । वे हमें अपने निवास की तीसरी मंज़िल पर ले गये । वहाँ मैंने उनको पत्रिका दी । वहीं हमारा जलपान हुआ । कई अवसरों  पर मैंने इनके साथ मंच साझा किया है । सन् 1996 ई. में गोस्वामी तुलसीदास पंचशती जयंती पर हम दोनों ने मंच साझा किया था । श्री हरवीर गिरि ने सरिता विहार में सेंट गिरि स्कूल की नयी शुरूआत की थी । भूमि पूजन के अवसर पर हम दोनों साथ - साथ थे । पिछले साल नयी दिल्ली की द्वारका कॉलोनी में दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर भी मंच पर हम दोनों साथ थे । 

                ऐसे विद्वान , उच्च पत्रकार , सफल राजनेता तथा गोस्वामियों के सिरमौर श्री रमा कांत गोस्वामी को मेरा नमन , मेरा वंदन।


प्रस्तुतकर्ता :- गिरिवर गिरि गोस्वामी निर्मोही , नयी दिल्ली , 9818461932

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