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गोस्वामी विभूतियाँ

प्रस्तुतिकरण:-आदित्य रमेश भारती नीमच

राजा अनूप गिरि उर्फ हिम्मत बहादुर गोसाईं ( सन् 1734- 1804 ई. ) :-  

राजेन्द्र गिरि अटल अखाड़े के महंत थे जिनके दो पुत्र थे--उमराव गिरि और अनूप गिरि। इलाहाबाद के नवाब सफदरजंग के आग्रह पर भरतपुर के जाट राजा सूरजमल ने महंत राजेन्द्र गिरि के साथ मिलकर दिल्ली पर हमला बोला जिसमें राजेन्द्र गिरि शहीद हो गये। सफदरजंग ने सिकंदरा और बिंदकी की जागीरें मुआवजे में राजेन्द्र गिरि के पुत्रों को दीं। अनूप गिरि ने राजेंद्र गिरि की विरासत सम्भाली। उन्होंने पानीपत के तीसरे युद्ध में भाग लिया। बुंदेलखंड में अनूप गिरि का डंका बजता था। सिकंदरा , बिन्दकी, झांसी, बांदा, सागर, मोठ उनकी रियासत के हिस्से थे ।  उनके दो दरबारी कवि थे--पद्माकर और ठाकुर दास। बाद में अंग्रेजों ने उनकी जागीरें जब्त कर ली थीं और इनको वंशजों को पेंशन प्रदान की थी।

गोस्वामी मठ,जागीरें,किले ओर रियासतें

 भूतपूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न स्व. श्री वी.वी. गिरि ( सन् 1894 - 1980 ई. ) :- 

विद्यालीय जीवन से ही राजनीति में। कई प्रदेशों के राज्यपाल रहे। इनके कार्यवाहक राष्ट्रपति काल में बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ। निर्दलीय प्रत्याशी बनकर राष्ट्रपति का चुनाव जीता, यह एक रिकार्ड है। मजदूरों के हितैषी रहे। इनकी वजह से "गिरि" शब्द को बड़ी लोकप्रियता मिली। इनके नाम पर दिल्ली में तुगलकाबाद के पास 'गिरि नगर'कॉलोनी बसी हुई है। इनकी पुत्रबधु श्रीमती मोहिनी गिरि  गोस्वामी समाज दिल्ली के कार्यक्रमों में आती रही  हैं। 

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. तुलसी गिरि ( सन् 1826 ई. ----2018 ) 

डॉक्टर की डिग्री दरभंगा मेडिकल कॉलेज से ली। कुशल राजनेता। बंगलौर और श्रीलंका में निर्वाचित जीवन बिताकर नेपाल में रह रहे हैं। "गिरि" शब्द को लोकप्रियता दिलाई।

स्व. महंत महेशपुरी नागपुर वाले :- 

स्व. महंत रामकृष्ण पुरी के शिष्य। एस्टेट में 75 गांवों की मालगुजारी। नागपुर के बड़े रियासतदार। गोस्वामियों की आन-बान-शान के प्रतीक। अखिल भारतीय गोस्वामी महासभा के अध्यक्ष। अनेक संगठनों और संस्थानों से सम्बद्ध।  अंग्रेजी गवर्नर भी सलाह लेता था। भोंसले परिवार के चहेते। सन् 1943 ई. में निधन।

 दशनाम गोस्वामी समाज की झलक

इंदौर के कर्नल भीमगिरि :-  

इंदौर के होल्कर राजा के कर्नल। 1857 ई. के विद्रोह के समय इंदौर की सुरक्षा की बागडोर इन्हीं के हाथों में। इंदौर में भीमगिरि गली इन्हीं के नाम पर।

राय बहादुर गोपाल अनंत गिरि , हल्याल :- 

हल्याल एस्टेट के मालिक। सिनेमा हॉल, टेनिस कोर्ट, अस्पताल बनवाये। कन्या विद्यालयों को भरपूर दान। रौबदार व्यक्तित्व। महादानी , उच्च शिक्षाविद।

स्व. श्री पृथ्वी गिरि हरि गिरि गोस्वामी उर्फ पापा साहब :-

मूल घराना पंजाब में। महाराष्ट्र में बसे।  क्रांतिकारी पत्रकार, जुझारू  स्वतंत्रतासेनानी और महान लेखक। तिलक के क्रांतिकारी लेख को अपने अखबार में छापा तो अंग्रेजी सरकार ने अखबार और छापेखाने को जब्त किया। एक हज़ार रुपये जुर्माना और दो सालों का सश्रम कारावास। तेल के कोल्हू में बैल बनाकर उनसे  काम लिया। 29 किलो वजन कम हुआ और टी.बी. की बीमारी लगी। मराठी में "गोसावी व त्यांचा सम्प्रदाय" लिखा-- पहला भाग 1926 में तथा दूसरा भाग 1931 में प्रकाशित हुआ। 1931 में निधन।

प्राचीन आदर्शों ओर नई सोच के साथ गोस्वामी आगे बढ़े

स्व. आचार्य नृसिंह गिरि मणिगिरि महेता :- 

गुजरात में कतारगाम में कांतारेश्वर महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर। दो पुत्र, सात पुत्रियां। गुजरात में गोस्वामियों में चेतना पैदा की। जीवन के पचास साल पूरे होने पर वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश कर गये। अनेक अनुष्ठानों, धार्मिक विधि- विधानों का निर्माण किया। 'दशनाम प्रकाश' और 'प्रकाश' पत्रिकाओं के सम्पादक रहे। 92 वर्ष की आयु में 1991 में दिवंगत।

स्व.इंदिरा रमण शास्त्री ,सारण (छपरा , बिहार ):-

देश की आज़ादी के लिए कई बार जेल गये। 1932 ई. में यरवदा जेल में अछूतोद्धार पर बहस करने के लिए गांधी जी ने विद्वानों की सभा की जिसमें इ़ंदिरा रमण शास्त्री ने अछूतोद्धार  के पक्ष में भाषण देकर गांधी जी का मन मोह लिया और गांधी जी बोल उठे--"आज आपने हिंदुस्तान को बचा लिया।"  उन्होंने कई ग्रंथ लिखे लेकिन "मानव धर्म शास्त्र" तथा "पंडित पाखंड खंडन" उल्लेखनीय हैं। ये लाल बहादुर शास्त्री के गुरू रहे। मार्च 1948 को ईश्वर को प्यारे हो गए। अब इनके परिवार के लोग पटना में रहते हैं।

शहीद इंदर गिरि गोस्वामी :- 

इटारसी के पास रामपुर के निवासी। पुरोहिताई का व्यवसाय। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़े। होशंगाबाद में नौ माह की कठोर सजा। भोजन-पानी छोड़ दिये । 19 मार्च 1943 को प्राण त्याग दिये। जेल में ही इनको समाधि दी गई थी । अब उनके नाम से एक विद्यालय का नाम।

कई देशो में गोस्वामी समाज का परचम फहराने वाले दिल्ली के निर्मीही जी

देशभक्त दल बहादुर गिरि :- 

पूर्वी भारत में तीन गोस्वामी भाई देश को स्वतंत्र कराने में लगे थे--मन बहादुर गिरि,  आगम बहादुर गिरि और दल बहादुर गिरि। 1921 से 1924 तक दल बहादुर गिरि तीन बार जेल गए। गरीबी और अभाव में मृत्यु। उनकी विधवा पत्नी कृष्ण माया को गांधी जी ने अपने आश्रम में शरण दी।

कवि  स्व. विनय कुमार भारती (1907- 40 ):- 

असली नाम रघुनाथ प्रसाद भारती। माखनलाल चतुर्वेदी ने विनय कुमार भारती नाम दिया। बहुत अच्छे- अच्छे गीत लिखे।

स्व.गोस्वामी दयाल गिरि, बालाघाट :- 

ज्योतिष और साहित्य में माहिर। उस समय के सभी बड़े नेताओं से सम्पर्क। महात्मा गांधी और डॉ.भगवान दास भी उनसे सलाह लेते थे।

दशनाम समाज का गौरव चांदाखेड़ी मठ पिपलोदा ( म.प्र)

स्व.गोस्वामी मोती गिरि चिमण गिरि, अदासा, नागपुर :- 

कई भाषाओं का ज्ञान। भोंसले सरकार से 200 एकड़ की जागीर मिली हुई थी। अदासा, झींलवी, सोनपुर गांवों की मल्कियत में साझेदारी। संतरे के लम्बे-चौड़े बाग। अदासा में विशाल गजानन मंदिर।

स्व.गोस्वामी गणेश पुरी, नागपुर :-

परिव्राजकाचार्य। कई भाषाओं के ज्ञाता। इंग्लैंड में भारतीय संस्कृति का प्रचार- प्रसार।

स्व.गोस्वामी आनंद भारती, इजारेदार, यवतमाल :- 

यवतमाल के पास ऊंचे गांव में कृष्ण भारती ने कुटिया बसाकर गृहस्थ जीवन शुरू किया। जागीरदार बने।उनके पुत्र झींगुर भारती पर 20 मन सोना। 'सोना बाबा' के नाम से प्रसिद्ध। आगामी पीढियों में उत्तराधिकार को लेकर मुकदमेबाजी जिसमें आनंद भारती विजयी ( 1925 ई. )। लम्बा-चौड़ा कारोबार। घुड़सवारी और शिकार का शौक। गरीबों के मददगार।

समय का सदुपयोग-जगद्गुरु शंकराचार्य

स्व.श्री महादेव गिरि 'शम्भू' , प्रयाग :- 

समाजसेवी ,पत्रकार और पत्रिका 'गोस्वामी' के सम्पादक। गोस्वामियों की उत्पत्ति पर शोधपूर्ण लेखन। 1936 में गोस्वामी प्रैस स्थापित करके पत्रिका 'गोस्वामी' का प्रकाशन शुरू किया। संस्था 'अखिल भारतीय गोस्वामी महासभा' का गठन किया। गोस्वामियों की उत्पत्ति पर शोधात्मक अध्ययन किया । इनकी पत्रिका 'गोस्वामी' अत्यंत लोकप्रिय रही । गोस्वामियों को जगाने का कार्य किया, भारत में ही नहीं नेपाल और श्रीलंका में भी।1905 में जन्म, 1969 में देहावसान। इनके परिवार के लोग प्रयागराज ( इलाहाबाद ) में रहते हैं ।

स्व. वीरवर सुखराम गिरि उर्फ संग्राम गिरि, चित्तौड़गढ़ :- 

चित्तौड़ के दुर्ग से लुटेरे धन चुराकर भागे। अपनी कुमुक के साथ लुटेरों से सुखराम गिरि की भिड़ंत हुई। लुटेरों को सामान छोड़कर भागना पड़ा लेकिन सुखराम गिरि बुरी तरह से घायल हो गए। घोड़ी उन्हें उठाकर उनके मठ पर आई। दोनों की जीवनलीला समाप्त हुई।महाराजा जयसिंह ने ' संग्राम गिरि' के नाम से विभूषित किया तथा दो जागीरें भेंट कीं। सुखराम गिरि और उनकी घोड़ी की समाधियां बनवाई गईं।

 स्व.स्वामी राम तीर्थ :- 

पंजाब में जन्म। मेधावी, धुन के पक्के, निर्लोभी, स्वाभिमानी, इंद्रियों के विजेता, वेदांत प्रचारक, देश- विदेश में लोकप्रिय।


स्व. शिवपुरी बाबा, नेपाल :- 

काठमांडू में आश्रम। भारत के तत्कालीन उप राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन् ने मुलाकात की। उनके कार्यों के ऊपर कई पुस्तकें प्रकाशित। 137 साल की आयु में 1963 में समाधिस्थ हुए।

स्व. श्री आनंद देव गिरि,प्रयाग :- 

1933 में ननिहाल ( नेपाल ) में जन्म। पिता मायानंद गिरि बड़े जागीरदार । व्यवसाय वकालत। इलाहाबाद के प्रसिद्ध वकील थे और जाने- माने नेता थे ।  1982 में 'अखिल भारतीय गोस्वामी महासभा' गठित की। चन्दशेखर सरकार में सोलीसिटर जनरल ऑफ इंडिया। गोस्वामियों से राजनीति में उतरने का आवाहन किया। 2003 में संसार से विदा। अब उनके पुत्र उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

फिल्म अभिनेता-निर्माता-निदेशक श्री मनोज कुमार ( उर्फ हरि किशन गिरि गोस्वामी ) :- 

एबटाबाद [ अब पाकिस्तान ] में जन्म। दिलीप कुमार से प्रभावित होकर नाम मनोज कुमार रखा। दिल्ली से जाकर मुम्बई में जा बसे। बड़ी शानदार फिल्में बनाईं जिनमें देशभक्ति का पुट। फिल्मी दुनिया में 'पंडित जी' और 'भरतकुमार' के नाम से लोकप्रिय। 

"प्रणाम का महत्व"

 महान साहित्यकार पं. गिरि मोहन गुरू 'नगरश्री' , होशंगाबाद :- 

सेवानिवृत्त शासकीय शिक्षक। अनेक पुस्तकों के लेखक एवंं प्रकाशक। कई पत्रिकाओं का सम्पादन किया। विश्वविद्यालयों में इनके काव्य पर शोधकार्य जारी। हिंदी साहित्य जगत में अत्यंत लोकप्रिय नाम । कवि और पुरोहित का जीवन । गोस्वामित्व के सच्चे प्रतीक । "गुरूजी" के नाम से लोकप्रिय । परिवार में पत्नी, एक पुत्र , पुत्रवधू, दो पौत्रियां, दो विवाहित पुत्रियाँ , दामाद, दौहित्र- दौहित्रियां।  

स्व. कवि दीनदयाल गिरि ( संवत् 1859- 1915 ), काशी :-  

अन्योक्तिकार एवं कवि। कई पुस्तकें प्रकाशित जैसे-- अनुरागबाग, अन्योक्तिमाला, अन्योक्तिकल्पद्रुम ---- -। काशी नरेश परोक्ष रूप से उनकी आर्थिक मदद करते थे।

 तमिल महाकवि स्व. सुब्रह्मण्यम भारती (1882- 1922 ) :- 

उनकी शिक्षा नैल्लई में हुई। छोटी उम्र में विवाह। माता-पिता का देहांत। काशी में बुआ के   'भारती मठ' में रहे और ' भारती' नाम से प्रसिद्ध। कवि, गायक, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रतासेनानी। देश के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। दक्षिण भारत के अत्यंत लोकप्रिय कवि ।

खेलबाला झूलन गोस्वामी , पश्चिम बंगाल :- 

महिला क्रिकेट की शानदार खिलाड़ी। देश- विदेश में नाम। लेकिन अब 20- 20 खेल से विदा ली।



उपरोक्त नामों  के अलावा भी कुछ और हस्तियों के नाम भी महाग्रंथ "गोस्वामीनामा" के अगले संस्करण में शामिल किये जायेंगे जैसे -- मूर्तिकार श्री महावीर भारती ( जयपुर ), पर्वतारोही कु० सीमा गोस्वामी ( हरियाणा ), मेजर जनरल सुनील पुरी ( चित्तौड़गढ़ / उदयपुर ) इत्यादि। 

© महाग्रंथ "गोस्वामीनामा" से। लेखक- गिरिवर गिरि गोस्वामी निर्मोही, नयी दिल्ली, 9818461932


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