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दशनामी सिद्ध महापुरुष हरदत पुरी बापजी


चिराग भारती गोस्वामी 
      गुजरात पुलिस 
   मेहसाना,जामनगर
 
दशनामी सिद्ध महापुरुष हरदतपुरी बापजी 
(जीवित समाधि-मोविया, गोंडल, राजकोट) बापजी के सिद्ध परचेके प्रसंग :- बापजी का जन्म बनासकांठा जिल्ले के डिसा तालुके के आसेड़ा गाँव मे हुआ था। डिसा के बगल में आया हुआ राजपुर मठ मे वे रहते थे।वहां से गुरु गोपालपुरीजी महाराज की आज्ञा लेके वि.सं.१६७० मे गोंडली नदी के तट पर कुबेरपुरी बापु दशनामी की जगा में रहने लगे। मोविया गाँव में बापजी ने धुनी लगाई और लोकसेवा का काम शुरू किया। मोविया गाँव मे एक दिन बहारवाटियो ने चढ़ाई की, जिससे सब गाँव के लोक घबराकर बापजी के पास पहुच गए और बापजी को सब बात बताई। बापजी गुस्से में आकर चिलम का दम नाभि तक खिंचा तो उतने मे ही सब बहारवाटिया के शरीर में जलन शुरू हो गई। सब बहारवाटिया दिशाशुन होकर बापजी की जगा में आए और लाठी की तरह बापजी की पैरो में गिर कर माफी मांगी। बापजी बडे दिलवाले थे उन्होंने बहारवाटिया से कहा कि इस भूमि पर कभी भी लूंटफाट करने के लिए आये तो कैलाशपति आप सबको अंधा कर देगे, फिर धुनि की भभूत लगाने को कहा, जिससे बहारवाटिया लोगो की शरीर की जलन बंध हो गई। इस बात का पता गोंडल नरेश संग्रामसिंहजी को चला तो वे बापजी के दर्शन करने के लिऐ मोविया पहोंचे। उस समय बापजी को तेज बुखार चडा हुआ था। सेवकगण ने बापजी को बताया कि गोंडल नरेश संग्रामसिंहजी पधार रहे । बापजी ने बुखार को अपने बिस्तर में रखकर स्वस्थ होकर गोंडल नरेश के स्वागत के लिए बाहर आए। गोंडल नरेश बापजी के बीस्तर के पास ही बैठे ओर उनका हाथ बिस्तर को लग गया तो झट से हाथ उन्होने हटा लिया। गोंडल नरेश ने बापजी को पूछा कि आपका बिस्तर इतना गरम क्यू है। तो बापजी बोले कि मुझे बुखार चडा था। लेकिन आप आ रहे थे तो मैने बुखार को बिस्तर में रखकर स्वस्थ होकर आपके स्वागत के लिए बाहर आया।गोंडल नरेश बापजी के परचे को देखकर पैर में पड़ गए और राज तरफ से बापजी को लोक सेवा के लिए जमीन जागीर भी उसी दिन उनके नाम कर दी।


 गुजरात के सौराष्ट्र में भूपत नाम का बहारवाटिया हो गया। उसने नवरात्रि के समय में मोविया गाँव को लुटने के लिए पहोंच गया। पहले भी बापजी ने बहारवाटियो को परचा दिया था । वो बात भूपत को मालूम थी। इस लिए उसने सोचा कि पहले बापजी के समाधि पर श्रीफल चढ़ाते है । जो श्रीफल अच्च्छा निकला तो गाँव को लूटेंगे ओर खराब निकला तो वापस चले जायगे। भूपत ने सेंकडो श्रीफल फोड़ा लेकिन सभी श्रीफल में उसे भभूत ही मिली। बापजी का परचा देखकर भूपत समाधि का दर्शन करके मोविया से वापस चला गया। बापजी ने सभी को  ॐ नमः शिवाय का मंत्र दिया था औऱ  सभी मिलजुल कर शांति से रहे ऐसी प्रेरणा भी देते थे। 

।।जय दशनाम।। ॐ ।।हर हर महादेव।।

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