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शंकराचार्य


शंकराचार्य के आविर्भाव से पूर्व वैदिक धर्म प्रायः मरणासन्न अवस्था से गुजर रहा था। मिथ्या कर्मकांड की अति से जनमानस ऊब चुका था। ओर ब्राह्मणवाद हत्यशा में किसी उद्धारक की ओर टकटकी लगाए था। यू वैदिक धर्म का जैन तथा बोद्ध धर्म से संघर्ष तो आरम्भ से रहा। बोद्ध दर्शन की मूल मित्ति यद्यपि उपनिषद ही हैं, परन्तु गौतम बुद्ध ने अपने धर्म में बहुत सी ऐसी नवीन बाते सन्नीविष्ट कर दी,जिसके लिए वेद में आधार  मिलता ही नहीं।श्रुति को अप्रमाण मान कर उन्होंने आत्मवाद की अवहेलना की तथा यज्ञ का तिरस्कार किया । शंकर पूर्व भारत मे जैन ओर बौद्धो के अलावा कई प्रकार के तांत्रिकों का प्रभुत्व था। तथा  पाश्चारात्र पाशुपत, कापलिक, शाक्त, गाणपत्य इत्यादि मतों प्राबल्य था। विशुद्ध सनातन धर्म की ऐसी संकट की घडी मे शंकराचार्य का उदय चमकते हुए सूर्य की तरह हुआ। आचार्य ने विधर्मियो वाममार्गियों को ललकारा और तार्किकता के साथ शास्त्रार्थ कर उन्हें परास्त किया तथा वैदिक धर्म की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित किया। उन्होंने शास्त्र और शस्त्र का समन्वय किया। तथा दशनामी संघों का आह्वान व संघठन वैदिक धर्म की रक्षार्थ किया।
अब आचार्य ऐसे महासागर बन गए जिसमे अद्वैतवाद, शुद्वादैतवाद विशिष्ट द्वैतवाद, निर्गुण ब्रह्मज्ञान के साथ सगुण साकार की भक्ति धाराएं एक साथ हिलोरें लेने लगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि ज्ञान की अद्वैत भाव भूमि पर जो परमात्मा निगुर्ण निराकार ब्रह्म हैं, वहीं द्वैत की अवधारणा मैं सगुण तथा निगुर्ण दोनो की तार्किक व्याख्या की तथा समर्थन किया और यह प्रतिपादित किया कि निगुर्ण तक पहुचने के लिए सगुण एक अपरिहार्य ओर प्राथमिक सोपान हैं। ज्ञान और चिंतन-दर्शन की भावभूमि पर यह भी प्रतिपादित किया कि सभी साधनाओं की परम् उपलब्धि अद्वैत ज्ञान ही हैं। उन्होंने ब्रह्म सत्यम जगन्मिथ्या का उद्घोष भी किया और शिव,पार्वती, गणेश, विष्णु आदि देवो के भक्तिरसपूर्ण स्तोत्र भी रचे। अपने अलौकिक विद्वतापूर्ण तर्को से शैव-शाक्त वैष्णवों का द्वद्व समाप्त किया और पंचदेवोंपासना का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने आसेतु हिमाचल संपूर्ण भारत की यात्रा की और चार मठों की स्थापना करके पूरे देश को सांस्कृतिक, धार्मिक, दार्शनिक, आध्यात्मिक तथा भौगोलिक एकता के अविछिन्न सूत्र में बांध दिया। आचार्य ने समस्त मानव जाति को जीवन मुक्ति का एक सूत्र दिया और भारतीय संस्कृति का विस्तार किया।


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